इमरजेंसी के दौरान की कहानी: 'Lalu Yadav का अनुभव और आज की राजनीति' | Emergency Period Memories

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लालू प्रसाद यादव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता, ने इमरजेंसी काल के दौरान अपने अनुभवों को साझा किया है। उन्होंने एक लेख में बताया कि कैसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें जेल में डाला, लेकिन कभी उनके खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। यह लेख न केवल इतिहास के एक महत्वपूर्ण काल को याद करता है, बल्कि वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर भी प्रकाश डालता है।

इमरजेंसी के दौरान की कहानी - 'Lalu Yadav का अनुभव और आज की राजनीति' Emergency Period Memories
इमरजेंसी के दौरान की कहानी – ‘Lalu Yadav का अनुभव और आज की राजनीति’ Emergency Period Memories

इमरजेंसी काल का वर्णन:

  • 1975 में लगाई गई इमरजेंसी भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा है
  • लालू यादव को मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (MISA) के तहत 15 महीने से अधिक समय तक जेल में रखा गया
  • जयप्रकाश नारायण द्वारा गठित स्टीयरिंग कमेटी के वे संयोजक थे

वर्तमान राजनीति से तुलना:

  • लालू यादव ने कहा कि इंदिरा गांधी ने कभी उन्हें “देशद्रोही” या “अदेशभक्त” नहीं कहा
  • उन्होंने आज के नेताओं पर संविधान निर्माता बाबासाहेब अंबेडकर की स्मृति को अपमानित करने का आरोप लगाया
  • वर्तमान सरकार पर विपक्ष का सम्मान न करने का आरोप

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संसद के संयुक्त सत्र में दिए गए भाषण पर INDIA गठबंधन के नेताओं की प्रतिक्रिया
  • कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर झूठ से भरा भाषण देने का आरोप लगाया

इस लेख से हम समझ सकते हैं कि इतिहास और वर्तमान राजनीति कैसे एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। यह हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र में विरोध और असहमति का महत्वपूर्ण स्थान है। साथ ही, यह हमें चेतावनी देता है कि हमें अपने अतीत से सीखना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी गलतियों को दोहराया न जाए।

इस विषय पर कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:

  1. राजनीतिक विरासत: लालू यादव जैसे नेताओं के अनुभव हमें भारतीय लोकतंत्र के इतिहास को समझने में मदद करते हैं।
  2. विपक्ष का महत्व: स्वस्थ लोकतंत्र के लिए मजबूत और सम्मानित विपक्ष आवश्यक है।
  3. इतिहास से सीखना: 1975 की इमरजेंसी जैसी घटनाओं से हमें सीख लेनी चाहिए कि कैसे लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की जाए।
  4. राजनीतिक संवाद का स्तर: नेताओं को एक-दूसरे के प्रति सम्मानजनक भाषा का उपयोग करना चाहिए।
  5. संविधान का सम्मान: हर राजनीतिक दल को संविधान और उसके निर्माताओं का सम्मान करना चाहिए।

लालू यादव के अनुभव और टिप्पणियाँ हमें याद दिलाती हैं कि लोकतंत्र में विरोध और असहमति का महत्वपूर्ण स्थान है। हमें अपने इतिहास से सीखना चाहिए और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए सतर्क रहना चाहिए। यह लेख हमें प्रेरित करता है कि हम अपने देश के लोकतांत्रिक fabric को मजबूत करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।

संबन्धित विडियो: PM preaches consensus, practices confrontation: Sonia Gandhi’s fresh attack

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